ब्यूरो: लोकसभा में बुधवार को वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को पारित कर दिया गया। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने इस विधेयक को सदन में पेश किया। सरकार ने स्पष्ट किया कि यह विधेयक केवल वक्फ संपत्तियों से संबंधित है और धार्मिक स्थलों या गतिविधियों में किसी भी तरह का हस्तक्षेप नहीं करेगा। हालांकि, विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने हंगामा किया और अधिक समय की मांग की। सरकार ने इस विधेयक को पारदर्शिता और संपत्ति विवादों के समाधान की दिशा में एक बड़ा कदम बताया।
सरकार ने मुसलमानों को दिए ये 5 अहम भरोसे
मस्जिदों पर नहीं होगी कोई कार्रवाई
सरकार ने साफ कर दिया कि इस विधेयक में किसी भी मस्जिद पर कोई कार्रवाई का प्रावधान नहीं है। यह विधेयक केवल वक्फ संपत्तियों से संबंधित है और धार्मिक संस्थानों से इसका कोई लेना-देना नहीं है।
धार्मिक स्थलों और व्यवस्थाओं में कोई हस्तक्षेप नहीं
सरकार ने यह भी भरोसा दिलाया कि किसी भी धार्मिक स्थल या मस्जिद की व्यवस्था में कोई बदलाव या हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा।
धार्मिक गतिविधियों में कोई बदलाव नहीं होगा
सरकार ने स्पष्ट किया कि इस विधेयक में किसी भी धार्मिक गतिविधि में हस्तक्षेप का प्रावधान नहीं है। मस्जिदों या अन्य धार्मिक स्थलों के संचालन में कोई बाधा नहीं डाली जाएगी।
विवादित जमीनों पर उच्चस्तरीय अधिकारी लेंगे निर्णय
अब विवादित वक्फ संपत्तियों के मामलों को कलेक्टर या उससे ऊपर के अधिकारी ही देखेंगे। इसके अलावा, आदिवासी क्षेत्रों में वक्फ संपत्तियां बनाने पर सख्त नियम लागू किए जाएंगे ताकि किसी भी समुदाय के अधिकारों का उल्लंघन न हो।
वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिम सदस्यों की सीमा तय
सरकार ने भरोसा दिलाया कि वक्फ परिषद में कुल 22 सदस्यों में 4 से ज्यादा गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे। साथ ही, इसमें पूर्व अधिकारियों और संसद के 3 सदस्य भी शामिल किए जाएंगे, जो किसी भी धर्म से हो सकते हैं।
विपक्ष ने चर्चा का समय बढ़ाने की मांग की
विपक्ष ने विधेयक पर चर्चा के लिए 12 घंटे का समय मांगा, जबकि सरकार ने 8 घंटे का समय निर्धारित किया था। विपक्षी दलों का कहना था कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों से जुड़ा एक संवेदनशील मुद्दा है और इसे विस्तार से चर्चा करने की जरूरत है।